
- नवंबर बिल में कुल 12% FPPAS शुल्क जोड़ा जाएगा
- अक्टूबर के 9.59% और नवंबर के 2.41% बकाया की मिलाकर वसूली
- ईंधन और बिजली खरीद लागत में उछाल से बिलों में भारी बढ़ोतरी
- प्रदेश के 65 लाख उपभोक्ताओं पर सीधा असर
- उपभोक्ता संगठनों ने इसे “दोहरे बोझ” की संज्ञा दी
छत्तीसगढ़ में महंगी बिजली का नया अध्याय
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बिजली उपभोक्ताओं को नवंबर महीने में बड़ा झटका लगने जा रहा है। राज्य के करीब 65 लाख उपभोक्ताओं के बिजली बिल पर अतिरिक्त 12% FPPAS (Fuel & Power Purchase Adjustment Surcharge) लगाया जाएगा, जिसके कारण घरेलू से लेकर व्यावसायिक सभी श्रेणियों के बिल बढ़ेंगे। CSPDCL ने इसकी औपचारिक घोषणा कर दी है।
क्या है मामला—दो महीने के बकाया की एकमुश्त वसूली
नवंबर के बिल में अक्टूबर महीने के 9.59% और नवंबर के 2.41% FPPAS बकाया को जोड़कर कुल 12% शुल्क वसूला जाएगा। इससे सर्वाधिक असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ेगा जिनकी यूनिट खपत ज्यादा है।
हालाँकि CSPDCL का दावा है कि शुल्क को “दो चरणों में विभाजित” कर बोझ कम करने की कोशिश की गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर उपभोक्ता इसे राहत नहीं मान रहे।
FPPAS क्यों बढ़ा?—ईंधन और बिजली खरीद लागत में उछाल
FPPAS एक मासिक परिवर्ती अधिभार है, जो बिजली उत्पादन और खरीद की वास्तविक लागत में उतार-चढ़ाव के आधार पर जोड़ा जाता है।
हाल के महीनों में कोयला, गैस और बिजली खरीद दरें बढ़ने से उत्पादन लागत बढ़ी, जिसका सीधा असर उपभोक्ताओं के बिजली बिल पर पड़ा है। यह अधिभार पहले लागू VCA (Variable Cost Adjustment) का स्थान ले चुका है।
महंगाई की दोहरी मार—65 लाख उपभोक्ताओं पर सीधा प्रभाव
राज्य के 65 लाख उपभोक्ताओं के सामने अब बिजली बिल की नई चुनौती खड़ी हो गई है। पहले ही नए टैरिफ से प्रति यूनिट 20–30 पैसे की वृद्धि हो चुकी है, ऐसे में 12% FPPAS अतिरिक्त बोझ बनकर आया है।
उपभोक्ता संगठनों ने इस वृद्धि को “असहनीय” बताते हुए सरकार से राहत देने की मांग उठाई है।
सलाह—बिल आने से पहले खपत पर करें नियंत्रण
ऊंचे बिल से बचने के लिए विशेषज्ञों ने सुझाया है कि उपभोक्ता
- महीने के अंत में अपनी यूनिट खपत स्वयं जांचें,
- अनावश्यक बिजली उपयोग कम करें,
- और बिल आने पर समय पर भुगतान करें ताकि अधिभार न बढ़े।














